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भारत में बोलने कि आजादी किस के पास नहीं है भारत ने सभी को बोलने कि आजादी दे रखी है। और इसी बात पर शाही परिवार से आने वाले ये प्रिंस ने अपनी शान और ईमानदारी से समलैंगिकता के बारे में अपनी बात रखी।
आपको बता दे कि भारत में इस मुद्दे पर चल रही बहस के बीच गुजरात के राजपीपला के प्रिंस मानवेन्द्र ने 2006 में अपने होमोसेक्शुअल होने कि बात स्वीकारी थी। धारा 377 को लेकर काफी वक्त से असमंजस के हालात बने हुए हैं। खुद के होमोसेक्शुअल होने कि बात स्वीकारने और LGBT कम्यूनिटी के लिए सपोर्ट में ‘दी लक्ष्य ट्रस्ट‘ के नाम का एनजीओ खोलने के बाद ये प्रिंस चर्चा में आएं उन्होने कई शो में अपनी बात कही है। और अपनी कहानी शेयर कि है। इनके बयान कुछ इस प्रकार के थे। इस मुद्दे पर उन्होंने जो भी बोला वो सुनने लायक है उन्होंने कहा कि हम सब इंसान हैं हम सबको बराबरी के साथ ट्रीट किया जाना चाहिए और वो अधिकार दिए जाने चाहिए जिनके लिए इनकार किया गया है इसके साथ ही उन्होने आखिर में कहा कि हम समाज से केवल प्यार की अपेक्षा करते हैं गे अधिकार केवल कोर्ट में ही नहीं दिए जा सकते बल्कि जिन लोगों के साथ हम रहते हैं उनके दिल और दिमाग में भी होने चाहिए |